पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर केंद्र ने कमाया 4.51 लाख करोड़ का टैक्स रेवेन्यू, 56.5% की जोरदार बढ़ोतरी
Central Government latest News: यह आकंड़े तब सामने आए हैं, जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों के आसमान छूने के चलते इन ईंधनों पर केंद्र (Central Government) और राज्य सरकारों के टैक्स-सेस घटाने की डिमांड तेज है.
केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए.(ज़ी बिज़नेस)
केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए.(ज़ी बिज़नेस)
Central Government latest News: केंद्र सरकार (Central Government) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स (Petroleum Products)पर सीमा शुल्क (Custom duty) और उत्पाद शुल्क (Excise duty) के रूप में इनडायरेक्ट टैक्स रेवेन्यू (Indirect Tax Revenue) करीब 56.5 प्रतिशत बढ़कर कुल 4,51,542.56 करोड़ रुपये के लेवल पर पहुंच गया. पीटीआई की खबर के मुताबिक, यह खुलासा सूचना के अधिकार (RTI) से हुआ है. यह आकंड़े तब सामने आए हैं, जब पेट्रोल-डीजल की कीमतों के आसमान छूने के चलते इन ईंधनों पर केंद्र (Central Government) और राज्य सरकारों के टैक्स-सेस घटाने की डिमांड तेज है.
वित्त मंत्रालय से जुड़े संस्थान ने दी जानकारी
खबर के मुताबिक, एक आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि वित्त मंत्रालय से जुड़े प्रणाली और आंकड़ा प्रबंधन महानिदेशालय (DGSDM) ने उनके एप्लीकेशन पर सूचना के अधिकार (Right to Information) के तहत जानकारी दी कि 2020-21 में पेट्रोलियम पदार्थों के इम्पोर्ट पर 37,806.96 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया. इसी तरह, देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 4,13,735.60 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए.
सरकार को सीमा शुल्क के तौर पर मिला रेवेन्यू
आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक 2019-20 में पेट्रोलियम पदार्थों के इम्पोर्ट पर सरकार को सीमा शुल्क के रूप में 46,046.09 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला. जबकि देश में इन पदार्थों के विनिर्माण पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की वसूली 2,42,267.63 करोड़ रुपये के स्तर पर रही. यानी दोनों टैक्स के मद में सरकार ने 2019-20 में कुल 2,88,313.72 करोड़ रुपये कमाए.
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पेट्रोल-डीजल की महंगाई का बुरा असर
पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क से सरकार का अप्रत्यक्ष कर राजस्व 2020-21 की उस अवधि में बढ़ा, जब देश भर में महामारी के भीषण प्रकोप की रोकथाम के लिए लॉकडाउन और दूसरी बंदिशों के चलते ट्रांसपोर्ट लम्बे समय तक थमी थीं. इस बीच, अर्थशास्त्री जयंतीलाल भंडारी ने कहा कि देश में पेट्रोल-डीजल की महंगाई का बुरा असर केवल आम आदमी पर नहीं, बल्कि समूची अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है. हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही कोविड-19 संकट के तगड़े झटके झेल चुकी है.
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06:07 PM IST